कर्मचारी पेंशन योजना के तहत, वर्तमान में न्यूनतम पेंशन ₹1000 प्रति माह है। कई पेंशनभोगी और कर्मचारी संगठनों ने इस राशि को बढ़ाने की मांग की है, खासकर बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की लागत को देखते हुए। सरकार ने संसद में बताया है कि वह इस मुद्दे पर विचार कर रही है, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि सरकार बजटीय प्रभाव और विभिन्न हितधारकों की राय का आकलन कर रही है।
मुख्य बातें:
न्यूनतम पेंशन ₹1000 से ऊपर बढऩे की संभावना है।
₹7,500 या ₹9,000 तक पेंशन बढ़ाने की मांग की जा रही है।
अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
सरकार विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही है
मार्च में स्टैंडिंग कमिटी ने की थी सिफारिश मार्च में संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने मिनिमम पेंशन की राशि को 1000 रुपए से बढ़ाकर 3000 रुपए तक करने की सिफारिश की थी। हालांकि, पेंशनर्स डिमांड है कि पेंशन राशि बहुत कम है, इसे बढ़ाकर कम से कम 9000 रुपए किया जाना चाहिए।
बोर्ड मेंबर और भारतीय मजदूर संघ की डिमांड है कि कर्मचारी के रिटायरमेंट से ठीक पहले की आखिरी सैलरी के अनुसार पेंशन तय की जानी चाहिए। अभी अंतिम 5 साल के वेतन का औसत देखा जाता है। हालांकि श्रम मंत्रालय ऐसा करने में अपनी असमर्थता जता चुका है।
प्रोविडेंट फंड पाने पर सभी सब्सक्राइबर्स के लिए कर्मचारी पेंशन स्कीम-1995 है। इसमें संगठित क्षेत्र के तहत काम करने वाले लोगों को 58 साल की उम्र के बाद पेंशन मिलती है। इसके लिए कर्मचारी के लिए कम से कम 10 साल की नौकरी करना अनिवार्य है। जब कोई कर्मचारी यानी एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड का सदस्य बनता है तो वह भी सदस्य बन जाता है। कर्मचारी अपने वेतन का 12प्रतिशत में योगदान देता है और उतनी ही राशि एम्प्लॉयर द्वारा भी दी जाती है। लेकिन, एम्प्लॉयर के योगदान में एक हिस्सा में जमा किया जाता है।
ईपीएस खाते में योगदान वेतन का 8.33 प्रतिशत होता है। हालांकि अभी पेंशन योग्य वेतन अधिकतम 15 हजार रुपए ही माना जाता है। इससे यह पेंशन का हिस्सा अधिकतम 1250 प्रति महीना होता है। इसके तहत मिनिमम पेंशन 1000 और अधिकतम 7,500 रुपए की दी जाती है। स्कीम में विधवा पेंशन, बच्चों की पेंशन की सुविधा मिलती है। अगर कर्मचारी की नौकरी के दौरान 58 साल से पहले मौत हो जाती है, तो उसकी पत्नी और बच्चे पेंशन मिलती है।